तीन महीने में जिसको पुलिस नहीं खोज पाई, उसका शव सीआईडी ने 15 दिन में ही ढूंढ निकाला

शिमला के ठियोग इलाके में सीआईडी ने एक व्यक्ति का शव बरामद किया है। मृतक व्यक्ति नवंबर में लापता हो गया था। करीब तीन माह तक पुलिस के पास यह केस पड़ा रहा, मगर लापता व्यक्ति का कोई सुराग वह नहीं लगा पाई। परिजनों ने डीजीपी के पास गुहार लगाई। डीजीपी संजय कुंडू ने इस केस को करीब दो सप्ताह पहले सीआईडी के सपुर्द किया। सीआईडी ने व्यक्ति का शव ढूंढ निकाला है। मृतक के परिजन हत्या का आरोप लगा रहे हैं। जानकारी के अनुसार पेशे से किसान संधू निवासी भगत राम 21 नवंबर को अपने घर से गाड़ी की किस्त जमा कराने गया था। लेकिन उसके बाद वह घर पर वापस नहीं लौटा। इस पर परिजनों ने सोचा कि भगत राम अपने दोस्तों के साथ कहीं गए होंगे और वापस आ जाएंगे । दो दिन बाद जब वापस नहीं आए तो मामले की सूचना ठियोग पुलिस थाना में दी गई। लेकिन परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की। 3 महीने तक पुलिस द्वारा जांच के बाद भी जब कोई परिणाम सामने नहीं आया तो 15 दिन पहले फरवरी में परिवार डीजीपी संजय कुंडू से मिला और मामले की जांच सीआईडी से करवाने की गुहार लगाई। इस पर संजय कुंडू ने सीआईडी की एक कमेटी गठित की जिसमें सीआईडी ने बीते दिन गुमशुदा व्यक्ति के शव को ढूंढ निकाला। बताया जा रहा है कि शव लाफूघाटी में एक झाड़ी में पड़ा हुआ था। मृतक भगतराम के शव को मंगलवार को आईजीएमसी में पोस्टमार्टम करवाने लाए परिजनों ने कहा कि भगत राम की हत्या की गई है। उनका आरोप है क्योंकि कि पहले भी उनसे लड़ाई हो चुकी थी और उन्हें मारने की धमकी दी गई थी। परिजनों ने बताया कि जब भगत राम घर से आखिरी बार गए थे तब उनके साथ ही चार पांच लोग थे । परिजनों का कहना है कि जैसे हालत में कल उन्हें शव मिला इससे प्रतीत होता है कि उनकी हत्या की गई है। परिजनों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है और कहा है कि पुलिस उन्हें तीन महीने तक गुमराह करते रही। वहीं मृतक भगतराम की भाभी ने बताया कि भगतराम बहुत ईमानदार और अच्छा आदमी था,उन्होंने आरोप लगाया कि वारदात वाले दिन उसके साथ चार पांच लोग थे, जिन्होंने भगत राम को मार कर झाड़ियों में फेंक दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि मामले में पुलिस ने उन्हें गुमराह किया है।

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